छोटी बच्चियों के लिए हिन्दी मे इस्लाही तक़रीर

السلام علیکم ورحمۃ للہ وبرکاتہ بسم اللہ الرحمٰن الرحیم الحمد للہ کفٰی وسلام علٰی عبادہِ الذّین الصطفیٰ اماّ بعد قال رسولُاللہِ صلّی اللہُ علیہِ وسلم طَلَبُ العِلمِ فریضۃ علیٰ کلّ مسلم وَّ مُسلمۃُ मोहतरम सामीने इज़ाम ओर इस्टेज पर उलैमा ए किराम वा असातीज़ा ए किराम मै अपनी तक़रीर की इब्तिदा एक शेर से करना चहुंगी के ‘’ ये आलम ये बूत खाना ईं चशमा गोश , जहां ज़िंदगी हे फक्त खुर्द नोश , तेरी आग इस खाक से नहीं , जहां तुझ से हे तू जहां से नहीं , बढ़े जा ये कोहे गिरा तोड़ कर , फिलिस मे जमानो मकां तोड़ कर , हर एक मुंतजिर तेरी यालगर का , तेरी शोकिए फिकरो किरदार का ,, जनाब सदरे आली वकार: मेरी तक़रीर का मोजू हमारी कॉम मे तालीमी बेदारी कैसे हो इस पर किसी कहने वाले ने कहा ‘’ जिस कॉम के बच्चे न हों खुद्दार ना हुनर मंद उस कॉम से तारीख के माअमार ना मांगो ,, मोजू को देख कर मे डर सी गयी सहम सी गयी बोखला सी गयी क्यूँ न डरती क्यूँ न सहम ती क्यूँ न बोखलाती क्यूंके मेरी ही नज़र मे नहीं , बलके हम सबकी नज़रों के सामने रोजाना मानाजिर नज़र मे आते हे क्यों के हम देखते हे के हमारी कॉम का हर दूसरा बच...