छोटी बच्चियों के लिए हिन्दी मे इस्लाही तक़रीर

 

السلام علیکم ورحمۃ للہ وبرکاتہ


بسم اللہ الرحمٰن الرحیم


الحمد للہ کفٰی وسلام علٰی عبادہِ الذّین الصطفیٰ اماّ بعد

قال رسولُاللہِ صلّی اللہُ علیہِ وسلم

طَلَبُ العِلمِ فریضۃ علیٰ کلّ مسلم وَّ مُسلمۃُ

मोहतरम सामीने इज़ाम ओर इस्टेज पर उलैमा ए किराम वा असातीज़ा ए किराम मै अपनी तक़रीर की इब्तिदा एक शेर से करना चहुंगी के ‘’ये आलम ये बूत खाना ईं चशमा गोश, जहां ज़िंदगी हे फक्त खुर्द नोश, तेरी आग इस खाक से नहीं, जहां तुझ से हे तू जहां से नहीं, बढ़े जा ये कोहे गिरा तोड़ कर, फिलिस मे जमानो मकां तोड़ कर, हर एक मुंतजिर तेरी यालगर का, तेरी शोकिए फिकरो किरदार का,,

जनाब सदरे आली वकार: मेरी तक़रीर का मोजू हमारी कॉम मे तालीमी बेदारी कैसे हो इस पर किसी कहने वाले ने कहा ‘’जिस कॉम के बच्चे न हों खुद्दार ना हुनर मंद उस कॉम से तारीख के माअमार ना मांगो,,

मोजू को देख कर मे डर सी गयी सहम सी गयी बोखला सी गयी क्यूँ न डरती क्यूँ न सहम ती क्यूँ न बोखलाती क्यूंके मेरी ही नज़र मे नहीं, बलके हम सबकी नज़रों के सामने रोजाना मानाजिर नज़र मे आते हे क्यों के हम देखते हे के हमारी कॉम का हर दूसरा बच्चा व बच्ची तालिम से ना आशना हे तालीम से बहुत दूर हें जाबके हम सब के सरकार नबी ए बरहक रहमते दो आलम मुहम्मद अरबी का फरमान हें

                  طَلَبُ العِلمِ فریضۃ علیٰ کلّ مسلم وَّ مُسلمۃُ

 तर्जुमा: इल्म का तलब करना हर मुसलमान मर्द व औरत पर फर्ज़ हे लेकिन देखने मे आता हे के हमारे बच्चे व बच्चीयां मुबाईलफोन पर whatsapp

Facebook मे तो अपना वकत खराब कर रहे हे लेकिन तालीम से बेजार हें उनको तो ये कहना बजा होगा के हमारे प्यारे राज दुलारे निकम्मे ना काम के ना काज के बस दुश्मन अनाज के में बच्चो ओर नो जवानो से क्यूंकर उम्मीद रखू के तारीख के माअमार बनेगे (कहाँ मुहम्मद कलाम ओर कहाँ अब्दुल कलाम हम वहाँ हे जहां से हम को भी हमारी कुछ खबर नहीं आती) मेरे प्यारे नोंजवान भाइयों ओर बहनों आज हम सब गोर करें के हमने अपने आपको कितना बनाया ओर सावारा हे मेरा मतलब ये हे के हमने अपने आपको तालीम से कितना मुजययन किया हे में अपने बड़ो से भी कहना चाहुंगी के हम तुम्हारा आने वाला मुस्तकबिल हे हमको मुज़ाययन बनाए ओर हम को महफूज़ बनाए,

मोहतम हज़रात: इल्म वो शे हे जिस से हर कॉम व मिल्लत ने सरफराजी व कामरानी के ताज देखे ओर रोशन मुस्तकबिल के झंडे गाड़े प्यारे भाई ओर बहनों हमे अगर काम याब होना हे ओर अपने मुस्तकबिल को रोशन बनाना हे तो हमे भी तालीम याफ़्ता होना पड़ेगा प्यारी बहनों ओर भाइयों कारगाहे ह्यात मे मुस्तकबिल उनका हे जो जहां बानी के लिए जहां दानी का गुर जानते हों ईमामत व कायदत उनके हाथ मे हें जो सितारो पर कमान डालने के लिए तय्यार हों हिम्मत के क़दरों ओर हुनर की महारतों से लेस हों वो गाजियाना किरदार,वो मुजाहिदाना रवाइयेँ,वो आदिलाना निज़ाम,वो हमदरदाना हुक्काम,वो शरीफाना तोर तरीके,वो जुरअत मंदों की जुरअत,वो दलेराना अजाइम, वो करीमाना अख्लाक,अर्ज़ ये हे के आमानत,दियानत,सदाक़त,महारत,बकारत,यानि ये सब मिला कर मोमीनाना सीरत ओर पैगम्बराना तहसीन के लिए इलमों हुनर से मुसल्लम होना पड़ेगा,

सदरे आली वकार: नौजवान जब तलाबे इल्म के तालिब हुये तो जोक बेदार हुआ शोक ने जोश मारा ओर शोके दीदार हुआ तलब जब तड़प बनी अजमो इरादा किया महारते सीखि समा पैदा हुआ हुनर से मुत्तसिब हुवे मुल्क की तरक्की मे हिस्सा लेने लगे तो फिर क्या था कॉम की तक़दीर बदली कोई रुकावट ना थी कोई थकावट ना थी ज़रूरत पूरी हुयी फिर फरावानी आई किस्मत ने पलटा खाया हर सू कामरानी आई,

सदरे आली वकार: मेरा विजदान कहता हे मुझे दिखाई दे रहा हे के इन नोजवानों मे शमे इल्म के परवानो मे मुल्क की तक़दीर भी हे मेरे भाइयों चलो ओर उठो ओर बढ़ो हमने तबदीली लानी हे हमने इंकिलाब भी बरपा करना हे अमलन मेअमारे कॉम बनना हे हर लहर को रखशा हर हुनर को ज्वाह हर फसल को जवां हर चुलेह को रोशन हर खलियान को शाद हर खेत को शादाब हर मर्द ओरत को माला माल हर परेशानी को शादा हर चेहरे को खुश करना हे तो आइये इस रियासत की सियासत को बदले रियासती निज़ाम मे पोशीदा खबासत को बदले मुल्क की जराअत को बदले ओर मुल्क की तिजारत को बदले,

आखिर मे बस इतना कहना चाहुंगी…..

शराबे कोहन फिर पिला सक़िया,वही जाम गर्दिश मे ला साक़िया,

मुझको इश्क़ के पर लगा कर उड़ा,मेरी खाक जुगनू बना कर उड़ा


खिरद को गुलामी से आज़ाद कर,मुझे पीरों का उस्ताद कर



والسلام

Comments

Popular posts from this blog

डॉक्टर ज़ाकिर हुसैन

मौत के वक़त ओर मौत के बाद मोमीन का ऐज़ाज

सुना है आजकल मुग़लों के इतिहास मिटाने पर workout हो रहा है